वन-डे क्रिकेट के मुकाबलों में लगातार एक के बाद एक बड़े स्कोर को देख कर भगवान सचिन तेंदुलकर काफी चिंतित है. सचिन ने इसके पीछे का कारण मैच में इस्तेमाल होने वाली 2 नयी गेंदों को बताया है. सचिन ने आईसीसी के इस नियम को काफी बेकार ठहराया है. जिसकी नाकामी साफ़-साफ़ क्रिकेट मैच में देखने को मिल रही है.
दरअसल इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले जा रहे पांच मैचों की सीरीज के मुकाबलों में रनों का अंबार देखा गया यहां तक की इस दौरान वनडे इतिहास की सबसे बड़ी पारी 50 ओवर में 481 रन भी देखने को मिली.
Having 2 new balls in one day cricket is a perfect recipe for disaster as each ball is not given the time to get old enough to reverse. We haven’t seen reverse swing, an integral part of the death overs, for a long time. #ENGvsAUS
— Sachin Tendulkar (@sachin_rt) June 21, 2018
इन बड़ी-बड़ी पारियों को देखने के बाद तेंदुलकर ने ट्विटर पर चिंता जताते हुए लिखा ,‘‘वनडे में दो नई गेंदों का इस्तेमाल नाकामी को न्यौता देने जैसा है. गेंद को उतना समय ही नहीं मिलता कि रिवर्स स्विंग मिल सके. हमने डैथ ओवरों में लंबे समय से रिवर्स स्विंग नहीं देखी.’’
इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे वनडे में छह विकेट पर 481 रन बनाए. अगले वनडे में 312 रन का लक्ष्य 45 ओवरों में हासिल कर लिया.
Reason why we don’t produce many attacking fast bowlers..They all very defensive in their approach…always looking for change ups..totally agree with you @sachin_rt reverse swing is almost vanished.. #SAD https://t.co/hPHoMXujcr
— Waqar Younis (@waqyounis99) June 21, 2018
रिवर्स स्विंग के महारथी पाकिस्तान के वकार युनूस ने तेंदुलकर का समर्थन करते हुए कहा ,‘‘यही वजह है कि अब आक्रामक तेज गेंदबाज नहीं निकलते. सभी रक्षात्मक खेलते हैं. सचिन से मै पूरी तरह सहमत हूं. रिवर्स स्विंग तो वन-डे क्रिकेट में लुप्त हो गयी है.’’
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आपको बता दे की मैच की शुरुआत में नयी गेंद से गेंदबाजों को मौका देने के लिहाज से आईसीसी ने दो नयी गेंदों का इस्तेमाल शुरू किया. जिसके चलते 50 ओवर के मैच में दोनों गेंद इतने पुराने नहीं हो पाते है की मैच के आखिरी समय में गेंद रिवर्स करती हुई दिखायी दे. यही कारण है की मास्टर ब्लास्टर ने वन-डे क्रिकेट में गेंद के रिवर्स स्विंग को लेकर चिंता जाहिर की है. वही आईसीसी ने अक्तूबर 2011 में वनडे में दो नई गेंदों का प्रयोग शुरू किया था.तबसे ये प्रयोग चलता चला आ रहा है.