भारतीय क्रिकेट की धुआंधार सलामी जोडियो में सचिन और सहवाग की जोड़ी का भी नाम आता है. इस दोनों बल्लेबाजो ने भारतीय टीम को शानदार जीत दिलवाई है. मैच की शुरुआत में ही ये दोनों बल्लेबाज अपने मास्टर स्ट्रोक से विरोधी टीम के गेंदबाजों की बखिया उधेड़ देते थे. जिसके चलते बाकी आने वाले बल्लेबाजो के लिए मैच में खेलना काफी आसान हो जाता है. ऐसे में हालांकि अब दोनों बल्लेबाज क्रिकेट को अलविदा कह चुके है. जिसके बाद सचिन और सहवाग दोनों ने एक चैट शो में ये खुलासा किया है की किस तरह सचिन और सौरव से सलामी जोड़ी सचिन-सहवाग की बनी थी.
दरअसल सचिन और सहवाग विक्रम साठे के चर्चित शो ‘व्हाट द डक’ के सीजन तीन में एक साथ नजर आए और कई सारे राज खोले. जिसमें सहवाग के ड्रेसिंग रूम से लेकर पहली मुलाकात तक की बात शामिल है. इन्ही बातों बातों में दोनों ने बताया कि कैसे भारतीय टीम को सचिन और सहवाग के रूप में सलामी जोड़ी मिली.
2002 में पहली बार सचिन और सहवाग की जोड़ी देखने को मिली थी. जिसके बाद फिर से गायब हो गयी थी. ऐसे में एक साल बाद 2003 विश्वकप में इन दोनों की जोड़ी ने दोबारा खतरनाक एंट्री की जिसके बाद ये जोड़ी एक खतरनाक सलामी जोड़ी के रूप में जानी जाने लगी.
दरअसल 2003 विश्व कप से पहले कुछ मुकाबलों में दोनों ने सलामी जोड़ी निभाई थी लेकिन वो सफल नहीं हो पाए थे. खुद कप्तान सौरव गांगुली उस वक्त सलामी बल्लेबाज के रूप में उतरते थे. 1997 से उन्होंने सचिन के साथ मिलकर पहले विकेट के लिए कई रिकॉर्ड साझेदारी की थी लेकिन सहवाग के आने के बाद ओपनिंग की हवा बदलने लगी. गांगुली-सहवाग के साथ सलामी जोड़ी बना रहे थे और सचिन चौथे नंबर पर बल्लेबाजी कर रहे थे लेकिन 2003 विश्व कप में शुरुआती हार के बाद टीम में बड़ा बदलाव हुआ और भारत की सलामी जोड़ी बदल गई.
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2003 विश्वकप में मचाया धमाल
2003 विश्व कप शुरू होने से पहले भारत को प्रैक्टिस मैच में हार मिली थी. इतना ही नहीं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी भारत को करारी हार मिली. जिसके बाद भारतीय टीम अगल मुकाबला खेलने जिम्बॉब्वे गई. ऐसे में कोच जॉन राइट सलामी जोड़ी को लेकर काफी चिंतित थे और सचिन से सीधा सवाल कर चुके थे कि उन्हें कहां खेलना है. सचिन ने पहले तो कहा कि जहां टीम चाहे लेकिन राइट अड़े रहे क्योंकि वो सचिन से ये कहलवाना चाहते थे की उन्हें ओपनिंग करनी है.
इसके बाद टीम का सारा समीकरण बदला और फिर सभी 15 खिलाड़ियों को उनकी सलामी जोड़ी चुनने को कहा गया. 15 में से 14 खिलाड़ियों ने सचिन-सहवाग की जोड़ी को चुना जबकि सिर्फ एक वोट गांगुली के फेवर में था (सहवाग कहते हैं कि ये वोट दादा का ही होगा). जिसके बाद दोनों ने भारत को लगभग हर मैच में अच्छी शुरुआत दिलाई और भारत फाइनल तक पहुंचा.
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