ऑस्ट्रेलिया की टीम साउथ अफ्रीका दौरे पर हुए बॉल टेम्परिंग विवाद को अब तक पचा नहीं पायी है. इस घटना के चलते ऑस्ट्रेलिया के तीन खिलाड़ियों कप्तान स्टीव स्मिथ, डेविड वार्नर और कैमरून बैनक्रॉफ्ट पर सीधे बैन लगा दिया गया है. इतना ही नहीं इस विवाद के चलते खुद को बेइज्जत महसूस करने वाले उस समय ऑस्ट्रेलिया के हेड कोच डैरेन लेहमन ने इस्तीफ़ा दे दिया था. जिसके बाद टीम को क्रिकेट के साथ नैतिक शिक्षा का पाठ पढाने के लिए पूर्व दिग्गज खिलाड़ी जस्टिन लैंगर को हेड कोच बनाया गया.
ऐसे में हेड कोच लैंगर का मानना है की खिलाड़ियों के मैदान पर किए प्रदर्शन ही नहीं बल्कि मैदान के बाहर उनके बर्ताव से भी आंका जाएगा. तेज गेंदबाज जॉश हेजलवुड ने लैंगर की नीति का समर्थन किया. उन्होंने माना कि खिलाड़ियों को केवल नतीजों से आंका जाता है और नतीजों पर ध्यान देने की सोच खिलाड़ियों को कुछ अलग करने पर मजबूर करती है.
न्यूज कॉर्प को दिए बयान में हेजलवुड ने कहा, “सभी बड़े दौरे दबाव भरे होते हैं और हम खुद ही अपने आप पर जीत का इतना ज्यादा दबाव बना लेते हैं. इस दबाव की सबसे बड़ी वजह ये है कि हमे केवल मैदान पर हमारे प्रदर्शन से ही आंका जाता है, मैदान के बार हम किस तरह के इंसान हैं उससे नहीं. केवल नतीजों पर ध्यान देने की सोच लोगों को कुछ अलग करने की ओर ले जाती है.”
हेजलवुड ने कहा कि कोच लैंगर ने इसे बदलने की शुरुआत की है. उन्होंने बताया, “मुझे नहीं लगता कि अब ऐसा होता है, इसमें बदलाव आया है. लैंगर ने मैदान के बाहर हमारे बर्ताव के बारे में बात की है और अब हमे उससे ही आंका जाएगा जो कि एक अच्छी शुरुआत है.”
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दुनियादारी की समझ नहीं होती क्रिकेटर को
हेजलवुड ने माना कि मौजूदा क्रिकेट के व्यस्त शेड्यूल के चलते खिलाड़ियों को मैदान के बाहर की दुनिया को समझने के ज्यादा समय नहीं मिलता है. जिसका सीधा प्रभाव उनकी फैसले लेने की क्षमता पर पड़ता है. पूर्व कप्तान स्मिथ के बारे में बात करते हुए हेजलवुड ने कहा, “क्रिकेट के हिसाब से वो तैयार था, लेकिन उसके साथ जो कुछ आता उसके लिए वो तैयार नहीं था. ये अलग समय है, स्कूल से बाहर निकलने के साथ ही हम क्रिकेटर बन जाते हैं और क्रिकेट से बाहर की जिंदगी और माहौल देखने का हमे मौका नहीं मिलता है. पहले के समय में लोग बाहर की दुनिया देख पाते थे, कुछ नौकरियां करते थे, सीखते थे. अब आप स्कूल से सीधे क्रिकेट में जाते हैं और क्रिकेट के अलावा कुछ नहीं जानते हो.”
सोशल मीडिया पर छा गयी थी बॉल टेम्परिंग
बॉल टैंपरिंग का मामला क्रिकेट में कोई नया नहीं है, ये सदियों से चला आ रहा है. लेकिन सोशल मीडिया के जमाने में चंद सेकंड्स ही लगे खबर को पूरी दुनिया में फैलने में. हेजलवुड ने बताया कि स्मिथ और बैनक्रॉफ्ट की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अगली सुबह उन्हें एहसास हुआ कि ये विवाद कितना बड़ा है.
उन्होंने कहा, “हम सोने चले गए और ऑस्ट्रेलिया जागा भी नहीं था. हमे इसका एहसास तब हुआ जब हम अगली सुबह जागे और हमे समझ आया कि प्रतिक्रिया कितनी बड़ी है. दक्षिण अफ्रीका में ऐसा कुछ नहीं था, सभी ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार जानते थे कि ये हमेशा से होता आया है और कई दूसरी टीमें पहले भी ऐसा कर चुके हैं. लेकिन जब ये विवाद घर पहुंचा तो मीडिया दूसरी ही दिशा में चला गया और जो प्रतिक्रिया आई वो ज्यादा बड़ी थी.”