भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को उनके कूल दिमाग के लिए जाने जाता है. जिसका उदाहरण अक्सर हमे सुनने को मिलता रहता है. इसी कड़ी में सीनियर पत्रकार ने अपनी किताब द धोनी टच में महेंद्र सिंह धोनी के बारे कईं खुलासे किए हैं. सुन्दरेसन ने अपनी किताब में क्रिकेट के मैदान पर धोनी की कप्तानी और उनके रणनीतियों के बारे में बताया है कि कैसे एक कप्तान के तौर पर वे किस तरह टीम का नेतृत्व करते थे.
सुन्दरेसन ने अपनी इस किताब में साल 2008 की एक रोचक घटना का जिक्र किया है जिसमें धोनी ने मैच जीतने पर खिलाड़ियों को जश्न मनाने से मना कर दिया था.
दरअसल यह मैच उस दौर की सबसे मजबूत टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला गया था. मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर खेले गए इस मैच में रिकी पॉटिंग की कप्तानी वाली टीम महज 159 रन पर सिमट गई थी. इस मुकाबले में तेज गेंदबाज एस श्रीसंत और इरफान पठान ने मिलकर 9 विकेट चटकाए थे.
ऐसी खतरनाक गेंदबाजी के बाद भारतीय टीम ने इस लक्ष्य को आसानी से पूरा कर लिया लेकिन मैच के दौरान एक ऐसी घटना हुई जो हैरान करने वाली थी. आम तौर पर जब टीम मैच जितती है तो टीम के खिलाड़ी जश्न मनाते हैं लेकिन बातौर कप्तान 15वां मैच खेल रहे धोनी ने ड्रेसिंग रूम यह संदेश भिजवाया कि वे जश्न ना मनाए. उस समय टीम को जीतने के महज 10 रन की जरुरत थी.
दरअसल धोनी यह चाहते थे कि अगर हम जीतने के बाद जश्न मनाते हैं तो ऑस्ट्रेलियाई टीम के अंदर एक बदले की भावना पैदा होगी और वह अगले मैच में और तैयारी के साथ मैदान पर उतरेगी. हम जश्न ना मनाकर ऑस्ट्रेलियाई टीम को यह एहसास दिलाना चाहते है कि इस तहर की जीत अब भारतीय टीम बार-बार दर्ज करने वाली है.
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सुन्दरेसन ने अपनी किताब में लिखा है कि धोनी नहीं चाहते थे जब टीम मैच जीते तो खिलाड़ी जश्न मनाते हुए मां-बहन की गाली निकाले. वहीं आज कल के मौजूदा कप्तानों को देखें तो वह मैदान पर आक्रमक रुख अपनाने के साथ स्लेजिंग के नाम पर बीच मैदान में जमकर गाली गलौच करते हैं जोकि किसी भी खेल के लिए सही नहीं हो सकता है.
धोनी की इस सोच से पता है चलता है कि वे मैदान पर कितना शांत और रणनीति के साथ खेलते थे. इसके साथ ही धोनी के इस खेल के प्रति आत्मसमपर्ण के साथ सम्मान की भावना का भी पता चलता है.