आईपीएल-11 का फ़ाइनल मुकाबला चेन्नई सुपर किंग्स ने बड़ी आसानी से अपने नाम कर लिए. जिसमे चेन्नई के लिए विदेशी खिलाड़ियों ने कमाल का प्रदर्शन किया. बात फिर चाहे शेन वाट्सन की हो या लुंगी एंगीसी की या फिर डी जे ब्रावो की सभी ने फ़ाइनल में कमाल का प्रदर्शन किया. तो कुछ इस तरह देशी और विदेशी खिलाड़ियों के अच्छे मिक्सचर के दम पर चेन्नई ने तीसरी बार आईपीएल फाइनल में अपना कब्ज़ा किया.
वही बात अगर हारी हुई टीम सनराईजर्स हैदराबाद की करे तो उनके कप्तान ही विदेशी केन विलियम्सन थे. जिन्होंने पूरे टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बना कर ऑरेंज कैप हासिल की. इसके साथ ही राशिद खान और शाकिब-एल-हसन ने भी कमाल का खेल दिखाया. इस तरह हम ये देखते है की अक्सर भारत के देशी टूर्नामेंट आईपीएल में विदेशी खिलाड़ी काफी अहम रोल अदा करते है. फिर इस साल तो चाहे सबसे ज्यादा रन बनाकर ऑरेंज कैप हासिल करने की हो या फिर सबसे ज्यादा विकेट हासिल करके पर्पल कैप पर कब्ज़ा करने की हो. विदेशी खिलाड़ियों ने हर साल इस लीग में अपना दबदबा कायम रखा है.
ऐसे में जिन टीमो के विदेशी खिलाड़ी खेलने में इतना कामयाब नहीं हो पाये वें टीमे प्लेऑफ में अपनी जगह बनाने में कामयाब नहीं हो पायी. उदाहरण के तौर पर मुंबई के लिए शुरुआत में कीरोन पोलार्ड का न चलना, राजस्थान के लिए तो जैसे इंग्लैंड के बेन इस बार अपने स्टोक्स ही खेलना भूल गये हो. जिनके कारण उनकी टीमे टूर्नामेंट में कठिन परिस्थितियों में नजर आयी. तो चलिए ऐसे में आज बात करते है इस साल के उन पांच दमदार विदेशी खिलाड़ियों की जिन्होंने पूरे सीजन शानदार प्रदर्शन कर अपनी टीम को जीत दिलायी.
#1. शेन वाटसन

आईपीएल 2018 का फ़ाइनल मुकाबला हमेशा इस बल्लेबाज के नाम से याद रखा जायेगा. इस मुकाबले में वाटसन ने अपनी खतरनाक बल्लेबाजी से हैदराबाद के गेंदबाजों की वाट लगा डाली. जिसके दम पर चेन्नई सुपर किंग्स ने एक तरफा अंदाज में मैच जीता.
वाटसन ने आईपीएल के फाइनल मुकाबले में शानदार शतक जड़ते हुए 117 रनों की पारी महज 57 गेंदों में खेल डाली. इस साल ऑस्ट्रेलिया का ये हरफन मौला खिलाड़ी शुरुआत से ही अलग अंदाज में दिखा.
37 वर्षीय वाटसन में अपनी उम्र को फिटनेस के आगे मात देते हुए 157.59 के स्ट्राइक रेट व 39.64 के औसत से 555 रन बना डाले. इसके साथ ही 6 विकेट भी लिए. अपनी टीम चेन्नई के लिए वाटसन इस साल तुरुप का इक्का साबित हुए.