भारतीय क्रिकेट टीम इन दिनों अपने साल के सबसे लम्बे इंग्लैण्ड दौर पर है. जहां पर उसने आयरलैंड और इंग्लैण्ड के खिलाफ टी-20 सीरीज में तो जीत हासिल कर ली. मगर वन-डे सीरीज में लगातार दो मैच हारकर सीरीज गवानी पड़ी. इस तरह अंग्रेजो ने दमदार वापसी करते हुए तीन वन-डे मैचो की सीरीज का पहला मैच हारकर सीरीज 2-1 से अपने नाम की.
ऐसे में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने बल्लेबाजों को हार का विलेन बताया है. जहां तक देखा जाए तो ये सही भी है. गेंदबाजी अभी तक बढ़िया रही है. मगर बल्लेबाजी में एक बीमारी है जो खत्म होने का नाम नहीं ले रही बल्कि समस्या बढती जा रही है.
किसको खिलाये नंबर चार
जी हाँ भारत की वन-डे टीम में पीछले एक-दो दशक से चार नंबर पर सिक्सर किंग युवराज सिंह बल्लेबाजी करने आते थे. जिसके बाद से जैसे ही वो टीम से बाहर हुए है. इस स्थान पर कोई दूसरा बल्लेबाज अपनी मज़बूत दावेदारी पेश नहीं कर पा रहा है. कई बल्लेबाज वन-डे में नंबर चार पर खेलने आये और चले गये. मगर किसी ने भी दिल नहीं जीता. जिसके चलते अभी भी टीम इंडिया में के.एल राहुल, सुरेश रैना, अजिंक्य रहाणे, श्रेयस अय्यर और दिनेश कार्तिक जैसे बल्लेबाज होते हुए भी ये स्थान रिक्त सा नजर आता है. इंग्लैण्ड के हाथों दोनों मैच में हार का का कारण भी मुख्य तौर पर मध्यक्रम की बल्लेबाजी रही है.
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विश्वकप से पहले करनी होगी खोज
इस तरह अगले साल विश्वकप को ध्यान में रखते हुए जल्द ही भारतीय कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली को इस नंबर पर बल्ल्लेबाजी करने वाले जादूगर की तलाश करनी होगी. वरना ये कमी भारत के लिए विश्वकप 2019 में सबसे बड़ी कमजोरी साबित हो सकती है. जिस दिन भारत का टॉप आर्डर (रोहित शर्मा, शिखर धवन और विराट कोहली) चल जाता है. मैच लगभग टीम इंडिया जीत जाती है. मगर जिस दिन ये तीनो खिलाड़ी जल्द आउट हो जाते है उसके बाद भारतीय टीम में दमखम खत्म हो जाता है. अकेले धोनी भी अब टीम का बेडा पार लगाने में पिछले दो मैचो में नाकामयाब रहे है. जिसके चलते इन सब चीजों को देखते हुए भारतीय टीम मैनेजमेंट को जल्द ही अपनी कमजोरी को ताकत बनाकर वन-डे क्रिकेट में वापसी करनी चाहिए.