आईपीएल के मौजूदा सीजन में एकबार फिर दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम फिसड्डी साबित हुई जिसका श्रेय बहुत हद तक इस टीम के विदेशी खिलाड़ियों को दिया जा सकता है। ग्लेन मैक्सवेल जैसा इस प्रारूप का धुरंधर बल्लेबाज दिल्ली की लुटिया डुबोने वालों में से एक रहा। मैक्सवेल को लगातार मौके मिले लेकिन वह इसका फायदा नहीं उठा पाए।
एक सत्र, 12 मैच, 169 रन
मैक्सवेल पूरे सीजन के करीब हर मैच में दिल्ली की प्लेइंग इलेवन में नजर आए। दिल्ली द्वारा खेले गए 14 मुकाबलों से से 12 में मैक्सवेल खेलते नजर आए जिसमें उन्होंने 14 के मामूली औसत से महज 169 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से कोई भी हाफ सेंचुरी नहीं निकली। हैरानी की बात यह है कि उन्होंने ओपनिंग से लेकर चौथे क्रम तक बल्लेबाजी की लेकिन सफलता किसी भी क्रम पर हाथ नहीं लगी। यहां तक कि मिडल ऑर्डर में उन्हें दिल्ली के सबसे सफल बल्लेबाज रिषभ पंत से ऊपर भी खिलाया गया लेकिन फिर भी उनका बल्ला रंग नहीं जमा पाया।
एक ऑस्ट्रेलियाई ने दूसरे का दिया साथ
दिल्ली की कोचिंग की जिम्मेदारी इस बार ऑस्ट्रेलिया के लीजेंड्री बल्लेबाज रिकी पॉन्टिंग के हाथों में थी। एक ऑस्ट्रेलियाई होने के नाते उन्होंने मैक्सवेल की प्रतिभा का लगातार समर्थन किया लेकिन मैक्सी उसकी फायदा नहीं उठा पाए। आईपीएल से दिल्ली का सफर खत्म होने के बाद पॉन्टिंग ने कहा कि मैक्सवेल अपने प्रदर्शन से बेहद निराश हैं। हालांकि अब उनको ये कौन समझाए कि अब पछतात होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत। शायद उनकी जगह किसी और खिलाड़ी को मौका मिला होता तो दिल्ली आज लीग चरण से बाहर होकर घर में नहीं बैठी होती।